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”मोटर व्हीकल संशोधन एक्ट” का विरोध होने से यह कानून मजाक बनता जा रहा है



















प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात सहित भाजपा शासित राज्यों महाराष्ट्र, कर्नाटक और उत्तराखंड में ही नए ”मोटर व्हीकल संशोधन एक्ट” का विरोध होने से यह कानून मजाक बनता जा रहा है और इसपर सवाल खड़े हो रहे हैं। अपनी ही पार्टी भाजपा शासित राज्यों में इसके विरोध से परिवहन मंत्री नितिन गडकरी खासे आहत दिख रहे हैं। कांग्रेस राज्य और बंगाल तो खैर इस कानून में भारी भरकम जुर्माना राशि का विरोध कर ही रहे हैं।


यह आश्चर्य की बात है कि भाजपा शासित और पीएम मोदी के गृह राज्य गुजरात तक में इस कानून को ”जनविरोधी” मानते हुए बहुत हल्का करके लागू किया जा रहा है। भाजपा शासित ही महाराष्ट्र की सरकार ने तो इसे लागू करने से ही मना कर दिया है और केंद्र सरकार से सवाल भी उठाया है। कर्नाटक के येद्दियुरप्पा सरकार ने भी ”गुजरात मॉडल” का अध्ययन करने की अपने अफसरों को हिदायत दी है।


इस सारे मामले में राजनीतिक पेंच भी जुड़ रहा है। सारा का सारा ठीकरा राजनीतिक रूप से परवहन मंत्री नितिन गडकरी पर आ पड़ा है। वही उठ रहे सवालों पर जवाब भी दे रहे हैं। गुजरात में इस कानून को हल्का करके लागू करने की खबर के बाद गडकरी बहुत आहत दिखे हैं। गडकरी का कहना है कि कोई भी राज्य मोटर व्हीकल संशोधन एक्ट में बदलाव नही कर सकता है। गडकरी ने एक टीवी चैनल के इंटरव्यू में कहा – ”मैंने राज्यों से जानकारी ली है। अभी तक कोई भी ऐसा राज्य नहीं है, जिसने कहा हो कि इस कानून को लागू नहीं करेंगे। कोई भी राज्य इस कानून से बाहर नहीं जा सकता।”


क़ानून को सड़क हादसों से निपटने और नियम कायदे से वाहन चलाने के लिए जहाँ बहुत उपयोगी मानने वालों की कमी नहीं, वहीं इसमें भारी भरकम जुर्माने का भी जबरदस्त विरोध हो रहा है। समर्थकों का कहना है कि कड़े क़ानून जुर्माने से देश में नियम तोड़ने वाले ”लाइन” पर आ सकते हैं। कुछ मामलों में लोग अपने वाहन वहीं छोड़ कर चले गए और एकाध घटना में अपनी बाइक ही जला दी। विरोध करने वालों का कहना है कि सरकार अपने ही नागरिकों को इस क़ानून के जरिये आर्थिक रूप से ”प्रताड़ित” कर रही है।


नए यातायात नियमों को लेकर ज्यादातर जनता के तेवर विरोधी दिख रहे हैं। यह विरोध भाजपा शासित राज्यों के ही इस क़ानून के खिलाफ खड़े हो जाने या इसे कमजोर करके लागू करने से और दिलचस्प स्थिति में पहुँच गया है।


मोदी सरकार के बनाए यातायात कानून को मोदी के गृह राज्य गुजरात में ही सरकार ने संशोधन कर जुर्माने की राशि घटा दी है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब पीएम के गृह राज्य में उनकी ही पार्टी की सरकार इस कानून को लोगों पर बोझ मान रही है तो इसे कैसे जनता के हक़ में माना जा सकता है। गुजरात के सीएम विजय रूपाणी का कहना है – ”हमारी सरकार ने नए यातायात नियमों की धारा ५० में बदलाव किया है और जुर्माने की राशि को कम कर दिया है।”


सिर्फ कांग्रेस सरकारें इस कानून को नहीं मानती तो कहा जा सकता था था कि का फैसला राजनीतिक है। लेकिन भाजपा की ही सरकारें विरोध में खड़ी हो गईं हैं तो भाजपा कांग्रेस को कोसने से भी रही। वैसे देश भर में अब तक नौ राज्यों ने ही नए यातायात नियम को लागू किया है।


महाराष्ट्र में भी भाजपा की सरकार है जिसने इस क़ानून को लागू करने से ही मना कर दिया है। यहाँ भी दिलचस्प यह है कि महाराष्ट्र परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का गृह राज्य है। इस सारे मसले में गडकरी का आहत होना समझ भी आता है। कांग्रेस वाले तो मजाक में कह ही रहे हैं कि भाजपा की ”भीतरी राजनीति” में गडकरी को नए मोटर व्हीकल क़ानून के बहाने जनता का विरोध सहने के लिए अकेला छोड़ दिया गया है।









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