एक उन्नत और सफल समाज स्थापित करने के लिए यह बहुत जरूरी है कि वर्तमान और भविष्य में बाल विवाह का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। बाल विवाह और उससे जुड़ी कुरीतियों को पूरी तरह समाज से खत्म करने के तरीकों के बारे में चिंतन करने के लिये जिला प्रशासन पुरी मुश्तेदी से लगा है और जिले के नागरिको को भी इस मुहिम मे जुडकर इस बुराई को समाज से दूर करने ़का आव्हान् कर रहा है। जिला प्रशासन द्वारा लाडो अभियान की तर्ज पर जिले मे ''बाबुल मोरा कच्ची कलियां ना तोड'' अभियान को जिले मे चलाया जा रहा है। जिसके तहत् जिले में एक भी बाल विवाह न होने देने हेतु प्रशासनिक अमले को भी सक्रिय किया गया है। जिले मे बाल विवाह की रोकथाम हेतु जिला स्तर पर व्यापक तैयारी कर ली गई।
आज शनिवार को नगरपालिका टाऊनहॉल मे सघन इन्द्रधनुष मिशन कार्यशाला मे जिला कलेक्टर श्री संजय कुमार ने कार्यक्रम मे उपस्थित समस्त आशा कार्यकर्ता, आंगनवाडी कार्यकर्ता,सुपरवाईजर महिला बाल विकास एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ता की बैठक में बाल विवाह के रोकथाम को लेकर चर्चा कर रहे थे। इसी बीच वहां उपस्थित बाल विवाहित सीमा राठौर अपने आपको बोलने से रोक नही पाई। उसने खड़े होकर अपने बाल विवाह का जिक्र करते हुए बताया कि मे भी एक ''बालिका वधु'' थी। मेरे भी माता-पिता ने मात्र 15 वर्ष की उम्र मे ही बाल विवाह कर दिया था। बाल विवाह के कारण मेने कम उम्र मे एक अतिकुपोषित बच्ची को जन्म दिया। जिसका उपचार कराने के बाद भी मृत्यु हो गई थी। सीमा ने बताया की मुझे इस तरह बाल विवाह से जीवन मे कई परेशानियो का सामना करना पडा था। अपने बाल विवाह से सीख लेकर मैने उसी वक्त अपने बच्चों का बाल विवाह न करने की मन में ठानी। सीमा आगे कहती है कि आज मेरी एक बेटी 21वर्ष की उम्र होने के बाद भी उसके विवाह के बारे मे सोचा तक नही है। आंनवाडी कार्यकर्ता का कहना है कि बाल विवाह के कारण जो परेशानी एवं दिक्कतो का सामना मुझे करना पडा, वह मै अपने बच्चो को कभी भी नही करने दुंगी और अपने सामने किसी भी कम उम्र के बच्चो का बाल विवाह नही होने नहीं दुंगी। हम सब इस अभियान को सफल बनाने मे अपना पुर्ण सहयोग प्रदान कर जिले मे बाल विवाह नही होने देंगे।
Comments
Post a Comment