चंद्रशेखर आजाद शासकीय स्नातकोत्तर अग्रणी महाविद्यालय में व्यक्तित्व विकास प्रकोष्ठ के तत्वाधान में गांधी जी की 150 वीं जन्मशताब्दी के उपलक्ष्य में 'गांधी संवाद'' कार्यक्रम को प्राचार्य डॉ आशा गुप्ता की अध्यक्षता में आयोजित किया गया।
सर्वप्रथम समस्त अतिथियो द्वारा मां सरस्वती जी की प्रतिमा पर फूल माला अर्पित कर एवं दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। छात्रा उमा वर्मा द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। प्राचार्य महोदया द्वारा सभी अतिर्थियों का स्वागत भारतीय संस्कृति के अनुसार तुलसी का पोधा देकर किया गया। डॉ नीरजा कोष्टा ने जिले से आमंत्रित सभी महाविद्यालयों के समन्वयकों का स्वागत करते हुये व्यक्तित्व को परिभाषित कर, सरल एवं सटीक प्रभावशाली शब्दों से कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। श्री ओम जी राठौर वरिष्ठ समाजसेवी ने गांधी जी के व्यक्तित्व पर अपने विचार प्रस्तुत किये एवं उनकी परवरिश भारत की स्वतंत्रता में योगदान एवं आर्थिक स्थिति पर उनकी विचारधारा एवं सदैव अपने सरल, सहज, निडर व्यक्तित्व का परिचय देते हुये बुद्धि और विवेक से सत्यता व अहिंसा के रास्ते पर चलकर एक मजबूत भारत के निर्माण में अपना सहयोग दिया।
डॉ.ब्रह्यदीप अलूने समन्वयक ने कहा कि उच्च शिक्षा के उद्देश्य को समस्त अतिथियों एवं विद्यार्थियों के समक्ष रखते हुये कहा कि आज भी महात्मा गांधी आधुनिक युग में प्रासंगिक है। यह हमारा दायित्व है कि गांधी जी के विचारों को युवा वर्ग के सामने रखे। गांधी जी किसी धर्म विशेष, राजनीतिक दल, या वर्ग का प्रतिनिधित्व न कर पूरे भारत का प्रतिनिधित्व एक दृष्टिकोण से करते थे। गांधी जी शिक्षा को गरीबी व बेरोजगारी दूर करने का सशक्त माध्यम मानते थे। इसके लिये गांधी जी ने गांव में स्वरोजगार एवं आत्मनिर्भर बनने के लिये स्थानीय उपलब्ध संसाधनों से हथकरघा एवं लघु उधोगों की स्थापना से देश को उन्नति के मार्ग पर अग्रसर किया।
कार्यक्रम की सूत्रधार एवं सरंक्षक डॉ.आशा गुप्ता प्राचार्य द्वारा गांधी जी के जीवन, शिक्षा, ज्ञान एवं व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुये उनके गुणों को विस्तार से समझाया। नेतृत्व का विकास, समस्या का समाधान भविष्य की योजनाओं का संचालन गांधी जी के व्यक्तित्व से सीखने को मिलता है। गांधी जी के द्वारा आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक व अन्य क्षेत्रों में दिये गया योगदान अविस्मरणीय है ग्रामीण क्षेत्र के निम्न स्तर को सुधारने हेतु लघु व कुटीर उधोगों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं की भागीदारी देश के विकास में अहम भूमिका निभाते है। खादी को बढ़ावा देते हुये लघु उधोगों को स्थापित करके रोजगार का सृजन किया गया एवं ज्यादा से ज्यादा परिवारों को आर्थिक रूप से सम्पन्न बनाकर उनका स्तर सुधारने हेतु कार्य किये गये। समन्वयक से विद्यार्थियों ने प्रश्न पूछे जिनका संतोषजनक उत्तर दिया गया।
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