राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय ग्वालियर में कथक द्वारा प्रत्येक माह होने वाले “ कथक साधना महोत्सव” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस महोत्सव को एक वर्ष पूर्ण हो चुका है और द्वितीय वर्ष प्रारंभ हो चुका है।
कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्जवलन से की गई जिसमें कथक विभाग की एच.ओ.डी. डॉ. अंजना झा., डॉ. सुनील पावगी, श्री मनोज बमरेले, श्री हितेश मिश्रा, श्री विकास विपट एवं विश्वविद्यालय के अन्य कर्मचारीगण उपस्थित रहे। कार्यक्रम की सभी प्रस्तुतियां कथक विभाग की एच.ओ.डी. अंजना झा के निर्देशन में तैयार की गयी।
कार्यक्रम की पहली प्रस्तुति एम.ए. तृतीय सेमेस्टर की छात्रा पूजा मांडिल एवं मिनाक्षी वर्जीनिया द्वारा महालक्ष्मी अष्टकम् (नमस्तुते महा मायी श्री पीठे सुर पूजिते, शंख चक्र गदा हस्ते महालक्ष्मी नमोस्तुते) राग सरस्वती में प्रस्तुत किया।
दूसरी प्रस्तुति “एडवांस डिप्लोमा” की छात्रा “तान्या जैन” द्वारा तीन ताल में जयपुर घराने की पारम्परिक बंदिशे थाट, आमद, उठान, तोडे-टुकडे एवं भाव पक्ष में सूफी (छाप तिलक सब छीनी तोसे नैना मिलाके) राग मिश्र खमाज और ताल केहरवा में प्रस्तुत किया।
अंतिम प्रस्तुति “एम.पी.ए प्रथम सेमेस्टर” की छात्रा “कु. संदीप तिवारी” द्वारा विलम्बित एवं मध्य लय में पंचम सवारी में जयपुर घराने की पारम्परिक बंदिशें थाट, उठान, आमद, तोडे-टुकडे, द्रुत लय में तीनताल में तिहाई प्रमलु एवं भाव पक्ष में गीत ( फिर सावन रूत की पवन चली तुम याद आए…….।) राग मिश्र किरवानी, ताल केहरवा पर प्रस्तुत किया। तबले पर श्री हितेश मिश्रा, हारमोनियम पर श्री मनोज बमरेले एवं पढ़ंत पर आस्तिक पाठकर ने संगत की। कार्यक्रम का संचालन कथक विभाग की छात्रा स्वीटी दत्ता ने किया।
कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्जवलन से की गई जिसमें कथक विभाग की एच.ओ.डी. डॉ. अंजना झा., डॉ. सुनील पावगी, श्री मनोज बमरेले, श्री हितेश मिश्रा, श्री विकास विपट एवं विश्वविद्यालय के अन्य कर्मचारीगण उपस्थित रहे। कार्यक्रम की सभी प्रस्तुतियां कथक विभाग की एच.ओ.डी. अंजना झा के निर्देशन में तैयार की गयी।
कार्यक्रम की पहली प्रस्तुति एम.ए. तृतीय सेमेस्टर की छात्रा पूजा मांडिल एवं मिनाक्षी वर्जीनिया द्वारा महालक्ष्मी अष्टकम् (नमस्तुते महा मायी श्री पीठे सुर पूजिते, शंख चक्र गदा हस्ते महालक्ष्मी नमोस्तुते) राग सरस्वती में प्रस्तुत किया।
दूसरी प्रस्तुति “एडवांस डिप्लोमा” की छात्रा “तान्या जैन” द्वारा तीन ताल में जयपुर घराने की पारम्परिक बंदिशे थाट, आमद, उठान, तोडे-टुकडे एवं भाव पक्ष में सूफी (छाप तिलक सब छीनी तोसे नैना मिलाके) राग मिश्र खमाज और ताल केहरवा में प्रस्तुत किया।
अंतिम प्रस्तुति “एम.पी.ए प्रथम सेमेस्टर” की छात्रा “कु. संदीप तिवारी” द्वारा विलम्बित एवं मध्य लय में पंचम सवारी में जयपुर घराने की पारम्परिक बंदिशें थाट, उठान, आमद, तोडे-टुकडे, द्रुत लय में तीनताल में तिहाई प्रमलु एवं भाव पक्ष में गीत ( फिर सावन रूत की पवन चली तुम याद आए…….।) राग मिश्र किरवानी, ताल केहरवा पर प्रस्तुत किया। तबले पर श्री हितेश मिश्रा, हारमोनियम पर श्री मनोज बमरेले एवं पढ़ंत पर आस्तिक पाठकर ने संगत की। कार्यक्रम का संचालन कथक विभाग की छात्रा स्वीटी दत्ता ने किया।
Comments
Post a Comment