मृदा स्वास्थ्य कार्ड के लिए भारत सरकार द्वारा मॉडल के रूप में चयनित भोपाल जिले के दो गांवों में स्वावलंबी और आय दोगुनी करने के उद्देश्य से आज विशेषज्ञों द्वारा किसानों को प्रशिक्षण दिया गया। किसानों को भारत सरकार के प्रतिनिधि डॉ. मनीष कुमार शर्मा और अपर संचालक कृषि श्री बीएस सहारे ने कृषि के नवाचारों को कृषकों को विस्तार से बताया।
आज बैरसिया के कोलूखेड़ी और फंदा के खारखेड़ी में प्रशिक्षण संपन्न हुआ। डॉ. मुनीष कुमार द्वारा बताया कि किसानों की आय दोगुनी करने में किसानों को समन्वित खेती करना चाहिए। उन्होंने कहा कि खेती के साथ-साथ पशुपालन, उद्यानिकी एवं मत्स्यपालन आवश्यक है। मृदा के निर्माण में हजारों साल लगते है अत: उसको क्षरण से बचाने के उपाय जरूरी है। किसानों की आय बढ़ाने में लागत को कम करना महत्वपूर्ण घटक है, इसमें स्वाईल हेल्थ कार्ड की भूमिका महत्वपूर्ण है जिसे किसानों को समझना बहुत आवश्यक है।
अपर संचालक श्री सहारे द्वारा बताया कि खेती बिना पशुधन के नहीं की जा सकती, पशुओं से प्राप्त गोबर का उपयोग खाद बनाने में किया जाता है। इस खाद का उपयोग करने से भूमि की जलधारण क्षमता और वायुसंचार में वृद्धि होती है, जो पौधे की वृद्धि के लिए आवश्यक है।
उप संचालक कृषि द्वारा बताया कि केंचुआं "किसान का मित्र" कहा जाता है, जो पहले बारिश के दिनों में दिखाई दे जाता था, किंतु अंधाधुध रसायन के प्रयोग से लुप्त हो गया है। उन्होंने कहा कि किसान भाई अपने खेत में छाया कर चार चक्रिय वर्मी कम्पोस्ट पिट व नाडेप तैयार कर खाद बनाये। यूरिया पर अपनी निर्भरता कम करने हेतु बायोगैस (गोबर गैस) बनवाये, जिससे ईधन के रूप में गैस प्राप्त होती है तथा सह उत्पाद के रूप में स्लरी प्राप्त होती है। इस स्लरी का प्रयोग सिंचाई जल के साथ देने से यूरिया देने की आवश्यकता नहीं होती है। गेहूं की फसल में जिंक व चने में मोलीब्लेडनम का उपयोग करें। श्री प्रभाकर द्वारा ग्राम के फर्टीलिटी मेप द्वारा बताया कि आपके क्षेत्र की मृदा के लिए कौन से पोषक तत्व लाभदायक है।
श्रीमती अर्चना परमार द्वारा किसानों को कार्ड के पैरामीटर पीएचईसी जैविक कार्बन, उपलब्ध नाईट्रोजन, फोसफोरस, पोटाश, सल्फर जिंक इत्यादि के बारे में बताया। श्री राजेन्द्र श्रीवास्तव, कृषि विकास अधिकारी द्वारा मिट्टी नमूना लेने की विधि व समय के बारे में विस्तार से बताया।
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