राज्य शासन की नई रेत नीति के अंतर्गत समाप्त प्रथम चरण की निविदा प्रक्रिया में 43 जिलों के समूहों के लिए भारत सरकार के ऑनलाइन पोर्टल पर 247 निविदाएँ प्राप्त हुईं। इस निविदा प्रक्रिया में खनिज निगम को सुरक्षा-निधि के रूप में 614 करोड़ की राशि मिली। प्रमुख सचिव खनिज साधन श्री नीरज मण्डलोई ने बताया कि अगले चरण में 27 नवम्बर से संभागवार तकनीकी प्रस्तावों का परीक्षण किया जाएगा। परीक्षण के बाद 7 दिसम्बर से संभागवार वित्तीय प्रस्ताव खोले जाएंगे। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा निविदा की सम्पूर्ण प्रक्रिया 15 दिसम्बर के पूर्व सम्पन्न कराने का प्रयास किया जा रहा है।
ज्ञातव्य है कि रेत की उपलब्धता के आधार पर 43 जिलों के समूह बनाए गए हैं। जिले में उपलब्ध रेत की मात्रा के आधार पर प्रत्येक जिले का आरक्षित सरकारी मूल्य निर्धारित किया गया है, जो सम्पूर्ण प्रदेश के लिए लगभग 500 करोड़ रुपये है। प्रत्येक समूह के लिये आरक्षित मूल्य की 25 प्रतिशत राशि अग्रिम जमा कराये जाने का प्रावधान है। दस करोड़ से अधिक मूल्य वाले जिलों को अतिरिक्त रूप से अपनी नेटवर्थ की प्रमाणिकता भी सिद्ध करना आवश्यक है।
प्रमुख सचिव श्री मण्डलोई ने बताया कि 5 जिले उज्जैन, गुना, शहडोल, शाजापुर और आगर-मालवा में एकमात्र अथवा शून्य निविदा प्राप्त हुई है। इन जिलों में पुन: निविदाएँ आमंत्रित करने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश के सबसे बड़े रेत समूह होशंगाबाद जिले के लिए 4 निविदाएँ प्राप्त हुई हैं। सबसे ज्यादा अशोकनगर में 18 और रीवा में 17 निविदाएँ प्राप्त हुई हैं। उन्होंने बताया कि रेत नियमों के अनुसार 2 निविदाएँ प्राप्त होने पर नियमानुसार अग्रिम कार्यवाही की जाएगी तथा 2 से कम निविदाएँ प्राप्त होने पर पुन: निविदा किये जाने का प्रावधान है।
खनिज साधन मंत्री श्री प्रदीप जायसवाल ने राज्य सरकार की नई रेत नीति पर विश्वास व्यक्त करने तथा निविदा प्रक्रिया में बढ़-चढ़कर भाग लेने के लिए निविदाकारों का आभार व्यक्त किया है। श्री जायसवाल ने विश्वास दिलाया है कि रेत खदानों का संचालन आम जनता के हित में किया जाएगा।
ज्ञातव्य है कि खनिज साधन मंत्री श्री जायसवाल ने 3 चरणों में सभी जिला मुख्यालयों पर निविदाकारों से वीडियो-कॉन्फ्रेंस के माध्यम से नई रेत नीति पर चर्चा की थी, निविदाकारों की शंकाओं का निराकरण किया था और राज्य शासन की ओर से सभी बिन्दुओं पर स्थिति स्पष्ट की थी। खनिज साधन विभाग द्वारा निविदाकारों को ऑनलाइन निविदा भरने का प्रशिक्षण भी दिया गया था। इन सभी प्रयासों के फलस्वरूप पूरे प्रदेश में बड़ी संख्या में निविदाएँ प्राप्त हुईं।
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