भोपाल गैस कांड वो क़यामत की रात

भोपाल गैस कांड पूरे विश्व में मशहूर है इसमें सैकड़ों लोगों की मौत हुई महिलाएं ,पुरुष,थी और मासूम बच्चे और बुजुर्ग मर्द औरतें और ज्यादातर मरने वालों में गरीबों की संख्या ज्यादा थी। भोपाल वासी उस 2, 3 दिसंबर की मध्य रात 1984 को आज तक नहीं भूले हैं। मैं उस वक्त 12 साल का था मैंने अपनी आंखों से देखा था के लोग मर्द औरतें बूढ़े बच्चे सारे के सारे रोडो पर भागे चले जा रहे हैं और कह रहे हैं गैस निकल गई गैस निकल गई। उस वक्त आंखों में मिर्ची जैसी लग रही थी और आंखों से आंसू जारी थे और सांस लेने में तकलीफ हो रही थी । क्योंकि मैं 12 वर्ष का था मेरी समझ नहीं आ रहा यह क्या हो रहा है। मानो ऐसा लग रहा था कि यह क़यामत की रात हो। कोई इधर रो रहा है कोई उधर रो रहा है कोई अपने मां को पुकार रहा है कोई अपने भाई को ढूंढ रहा है कोई अपनी बीवी को ढूंढ रहा है कोई मरा उधर पड़ा है कोई मरा इधर पड़ा है रोडो पर अजीब मंजर था मैं और मेरे वालिद हम दोनों मेरे बड़े भाई को ढूंढ रहे थे जो मुझसे दो छोटे भाइयों को लेकर वह भी अपनी जान और मेरे दोनों छोटे भाइयों की जान बचाने के लिए वास्ते भाग गए थे। मैं अपने वालिद साहब के साथ अपने तीनों तीनों भाइयों को ढूंढने के लिए पॉलिटेक्निक चौराहे तक गया था और पॉलिटेक्निक  तक मेरे तीनो भाई नहीं मिले थे मैं भी  रो  रहा था और आंखों में आंसू थे आंखों में जलन थी और सांस लेने में बेपनाह तकलीफ थी और  रोड और फुटपाथ पर महिलाएं बुजुर्ग और छोटे बच्चे रो रहे थे और बिलख रहे थे कोई भाग रहा था तो कोई अधमरा सा बैठा था सर्दी भी बेपनाह थी। मेरे वालिद साहब ने फिर मुझसे कहा चल बेटा घर चलते हैं घर में और भी लोग हैं उनको देखते हैं उनके क्या हाल हैं अल्लाह उन तीनों की हिफाजत फरमाए। वह रात को में आज तक नहीं भूला ख़ैर अल्लाह का शुक्र है अल्लाह का करम है कि मेरे तीनो भाई सुबह 10:00 बजे के बाद घर वापस लौट आए और मेरे बड़े भाई ने बताया कि वह भदभदा तक चले गए थे दोनों भाइयों को लेकर। पर उस रात में किसी ने अपना शोहर को खोया, किसी ने अपनी बीवी को खोया। किसी के दादा मरे तो किसी की दादी मरी तो किसी का पोता मारा तो किसी की पोती मरी तो किसी के खालू मरे तो किसी की बाप मरा तो किसी का बेटा मरा। सभी गैस कांड वाली रात में मरने वालों कि अल्लाह मग़फिरत फ़रमाए और रिश्तेदार और अवबाब को सब्र की तौफीक़ दे। अल्लाह अब्दुल जब्बार भाई की भी मग़फिरत फ़रमाए जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी गैस पीड़ितों को इंसाफ दिलाने के लिए लड़ाई लड़ी। आज तक गैस पीड़ितों के साथ इंसाफ नहीं हुआ है। और आज भी लोग इंसाफ की लड़ाई जारी रखे हुए हैं। 35 साल बाद भी आज तक  गैस पीड़ितों के साथ इंसाफ नहीं हुआ है। सरकारें आती रही और सरकारे जाती रही ।


 


                 दुआओं का तालिब: इरफान अली


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