पत्रकारिता पर कमलनाथ सरकार का एक और प्रहार
पत्रकार भवन पर चला बुल्डोजर
विजया पाठक
मध्यप्रदेश सरकार भले ही राज्य में पत्रकारों का बेहतर सूचना और संवाद का तंत्र स्थापित न कर पाई हो। पत्रकारों के लिए कोई नीति नहीं बना पाई हो पर वह पत्रकारों के गौरव का केन्द्र रहे पत्रकार भवन को तुड़वाने और बिकवाने के षड़यंत्र में जरूर शामिल हो गई है। कुछ दिन पहले ही राजधानी में करीब 17 हजार वर्गफीट में बने पत्रकार भवन को जिला प्रशासन ने सील कर दिया था जिसे आज 09 दिसंबर को तोड़ दिया गया है। इस कार्रवाई से प्रदेश की कमलनाथ सरकार का पत्रकारिता पर कुठाराघात करने का एक और नमूना पेश हो गया है। इससे पहले ही कुछ दिन पहले इंदौर के जीतू सोनी के ठिकानों पर बुल्डोजर चलवाकर पत्रकारों पर पहरा लगाने का कारनामा पेश कर चुकी है। सीएम कमलनाथ एक-एक कर पत्रकारिता को निशाना बनाने पर तुले हुए हैं। प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि पत्रकारों पर सख्ती बरती जा रही है और इस पेशे को निस्तनामूद करने की कोशिश की जा रही हो। पत्रकार भवन को तोड़ने का ताजा षड़यंत्र सरकार की कई मंशाओं को उजागर कर रहा है। हम जानते हैं कि जिस जगह पर यह भवन बना है वह जमीन करोड़ों रूपये की है। प्राइम लोकेशन पर है। इस जमीन को बिल्डर्स को बेचने का षड़यंत्र से भी इंकार नही किया जा सकता है। इस ताजा षड़यंत्र की सूचना पत्रकारों को मिल रही थी। इसके बाद भी पत्रकारों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया था। मालवीय नगर की वह जमीन जिस पर पत्रकार भवन स्थित है वह आज करोड़ों की संपत्ति बन गया है। न्यू मार्केट के इसी स्थान के नजदीक मध्यप्रदेश हाऊसिंग बोर्ड ने पुनर्घनत्वीकरण योजना के अंतर्गत बाजार,दफ्तर और निवास बनाने का सीबीडी प्रोजेक्ट हाथ में लिया है जिसके लिए देश की विख्यात कंस्ट्रक्शन कंपनी गेमन इंडिया लिमिटेड ने सरकार को एकमुश्त लगभग साढ़े तीन सौ करोड़ रुपए अग्रिम के तौर पर अदा किए हैं। मालवीय नगर के पत्रकार भवन की जमीन लगभग 980 वर्ग मीटर है, इसके आसपास की जमीनों और झुग्गियों को मिलाकर यह स्थान करोड़ों की कीमत रखता है। गेमन इंडिया के अनुबंध से सबक लेकर भू-माफिया इस जमीन को कौड़ियों के भाव लेकर बंदरबांट करने के लिए तैयार बैठा है। ये भवन चूंकि कभी प्रदेश भर के पत्रकारों के लगाव का केन्द्र रहा है इसलिए सरकार इसे अपने फैसले पर बेच तो सकती नहीं है लेकिन षड़यंत्र से तो यही लग रहा है कि प्रदेश सरकार की नजर इस जमीन पर जरूर है।
समय रहते प्रदेश के पत्रकारों को कमलनाथ सरकार की मंशा पर गौर करना चाहिए और जिस तरह से पत्रकारों पर प्रहार हो रहे हैं उससे सावधान होकर एकजुटता का परिचय देना चाहिए। यह वह समय है जब इस पेशे से जुड़े सभी लोगों को सरकार के खिलाफ लामबंद होना चाहिए। जिस तरह से सरकार अपनी मर्जी से पत्रकारों को निशाना बना रही है वह चिंतनीय है।
राजधानी के इस पत्रकार भवन की नींव भोपाल वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के बैनर तले पत्रकारिता करने वाले पत्रकारों ने लगभग 43 साल पहले 11 फरवरी 1969 में रखी थी। पत्रकारों की ये संस्था तब देश भर के पत्रकारों की एकमात्र बड़ी संस्था इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन की मध्यप्रदेश इकाई से जुड़ी थी। भोपाल वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन भोपाल ने पत्रकार भवन के निर्माण के लिए पत्रकार भवन समिति बनाई जिसे मध्यप्रदेश सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1959 के तहत 1970 में पंजीकृत कराया गया। इस अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत पत्रकार भवन सोसायटी का पंजीयन क्रमांक 1638-1970 है।
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